- इस रियासत के संस्थापक चौहान शासक थे।
- पृथ्वीराज विजय (जयनायक द्वारा रचित) तथा पृथ्वी राज रासो (चन्द्र बरदाई द्वारा रचित) के अनुसार चौहानों की उत्पति अग्निकुण्ड से हुई।
- अधिकांश इतिहासकार चौहानों को सूर्यवंशी मानते है।
- शाकम्भरी को सपालदक्ष अथवा सवादलक्ष भी कहा जाता है।
- छठी शताब्दी में वासुदेव के द्वारा चौहान साम्राज्य की स्थापना की गई।
- शाकम्भरी रियासत की प्रारम्भिक राजधानी अहिछत्रपुर थी जो वर्तमान नागौर है।
- चौहान शासक वासुदेव को सांभर झील का प्रवर्तक माना जाता है।
- वासुदेव के द्वारा ही सांभर की स्थापना की गई।
- 1113 ई0 में अजयराज चौहान के द्वारा अजमेर नगर की स्थापना की गई। तथा सांभर के स्थान पर अजमेर को अपनी राजधानी बनाया।
- 1113 ई0 में अजयराज चौहान ने ही अजमेर के निकट बीठड़ी की पहाड़ी पर अजयमेरू दुर्ग का निर्माण करवाया। बीठड़ी की पहाड़ी स्थित होने के कारण अजयमेरू दुर्ग को गढ़ बीठड़ी भी कहा जाता है।
- अजयराज चौहान ने चौहान साम्राज्य की सीमाओं को उत्तर में दिल्ली एवं भटिंडा तक फैला दिया।
- इन्हें इतिहास में आनाजी के नाम से जाना जाता है।
- आनाजी के द्वारा ही अजमेर में 1137 ई0 में आनासागर झील का निर्माण करवाया गया।
- सभी चौहान शासकों में सर्वाधिक युद्व अर्णोराज के द्वारा लड़े गये।
- आनाजी के द्वारा पुष्कर झील के निकट वराह मन्दिर का निर्माण करवाया गया।
- अर्णोराज की उनके पुत्र ने 1151 ई0 में हत्या कर दी थी।
- इन्हें इतिहास में बीसलदेव के नाम से भी जाना जाता है।
- विग्रहराज चतुर्थ संस्कृत के महान विद्वान तथा कवियों के एवं साहित्यकारों के आश्रय दाता थे। इसलिए सभी कवियों ने मिलकर विग्रहराज चतुर्थ को कवि बान्धव की उपाधि दी थी।
- विग्रहराज चतुर्थ ने हरितक्रांति नामक नाटक की रचना की।
- विग्रहराज चतुर्थ के दरबारी कवि सोमदेव ने ललित विग्रह राज नामक ग्रन्थ की रचना की। जिसमें विग्रहराज चतुर्थ एवं इन्द्रपुर की काल्पनिक राजकुमारी देसलदेवी के मध्य हुए प्रेम सम्बन्धों का उल्लेख हुआ है।
- नरपति नाल्ह द्वारा रचित बीसलदेव रासो में विग्रहराज चतृर्थ की उपलब्धियों का वर्णन तथा विग्रहराज एवं परमार राजा भोज की पुत्री राजमति के मध्य प्रेम एवं विवाह सम्बन्धों का उल्लेख हुआ है।
- इसी ग्रन्थ के अनुसार विग्रहराज चतृर्थ ने उड़ीसा की हीरों की खानों को विजय किया।
- विग्रहराज चतृर्थ ने अजमेर में संस्कृत विद्यालय की स्थापना करवायी थी जिसे कालान्तर में कुतुबुद्वीन ऐबक ने तुड़वाकर उसी के स्थान पर ढ़ाई दिन के झोपड़े का निर्माण करवाया।
- विग्रहराज चतृर्थ के पश्चात् पृथ्वी राज चौहान द्वितीय तथा इनके पश्चात् सोमेश्वर शासक बने।
- सोमेश्वर की मृत्यु के बाद इस वंश का सबसे महान शासक पृथ्वीराज चौहान तृतीय शासक बना।
- पृथ्वीराज चौहान तृतीय की माता का नाम कपूरि देवी था।
- यह दिल्ली के तोमरवंशी शासक अनंगपाल की पुत्री थी।
- अनंगपाल के कोई पुत्र नही था इसलिए उन्होंने दिल्ली का साम्राज्य उत्तराधिकार में पृथ्वीराज चौहान तृतीय को दे दिया था।
- पृथ्वीराज चौहान तृतीय के मंत्री भुवनमल थे।
- पृथ्वीराज चौहान तृतीय की उपलब्धियों का वर्णन चन्द्रवरदाई द्वारा लिखित पृथ्वीराज रासों तथा जयानक द्वारा रचित पृथ्वीराज विजय में हुआ है।
- पृथ्वीराज चौहान तृतीय ने कन्नौज गेदवाल शासक जयचन्द की पुत्री संयोगिता को स्वयंवर से लाकर गन्धर्व विवाह किया।
- प्रथम युद्व - 1191 ई0 : पृथ्वीराज चौहान तृतीय एवं मोहम्मद गौरी के मध्य हुआ। इस युद्व में पृथ्वीराज चौहान तृतीय की विजय हुई।
- द्वितीय युद्व - 1192 ई0 : पृथ्वीराज चौहान तृतीय व मोहम्मद गौरी के मध्य हुआ। इस युद्व मे मोहम्मद गौरी की विजय हुई।
- तराइन के द्वितीय युद्व में पराजय के पश्चात् दिल्ली में चौहान साम्राज्य का पतन हो गया।
- पृथ्वीराज चौहान तृतीय के पुत्र गोविन्द राज चौहान ने 1193 ई0 में रणथम्भौर में चौहान साम्राज्य की स्थापना की थी।
- रणथम्भौर का सबसे प्रतापी शासक हम्मीर देव चौहान था।
- हम्मीर देव चौहान की उपलब्धियों का वर्णन सांरगधर द्वारा रचित हम्मीर रासों तथा नयनचन्द्र सूरी द्वारा रचित हम्मीर महाकाव्य में मिलती है।
- हम्मीर देव चौहान के दो मंत्री थे - रतिपाल एवं रणमल
- 1301 ई0 में अलाउद्वीन खिलजी ने रणथम्भौर पर आक्रमण किया।
- इस आक्रमण में रतिपाल एवं रणमल की गद्वारी के कारण हम्मीरदेव चौहान सहित सभी राजपूत वीर लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए तथा राजपूत रानियों ने रंगदेवी (हम्मीरदेव चौहान की रानी) के नेतृत्व में जोहर किया। जो राजस्थान का प्रथम जोहर था। ( जल में जोहर )
- अलाउद्वीन खिलजी ने रणमल एवं रतिपाल को भी हाथियों के पैरो तले कुचलवा दिया था।
- 1181 ई0 में कीर्तिपाल चौहान के द्वारा जालौर में चौहान साम्राज्य की स्थापना की गई।
- जालौर का सबसे प्रतापी शासक कान्हणदेव चौहान थे जिन्हें इतिहास में अखेराज के नाम से भी जाना जाता है।
- कान्हड़देव चौहान ने जालौर साम्राज्य का विस्तार सौराष्ट् प्रान्त तक कर दिया था।
- इनके काल की घटनाओें का वर्णन पद्मनाभ द्वारा रचित कान्हण देव प्रबन्ध तथा अमीर खुसरो द्वारा रचित आशीका ग्रन्थों में मिलता है।
- इन दोनो ही ग्रन्थों के अनुसार कान्हणदेव चौहान का पुत्र वीरमदेव से अलाउद्वीन खिलजी की बेटी फिरोजा प्रेम करती थी।
- अलाउद्वीन खिलजी ने 1311 ई0 में जालौर पर आक्रमण कर दिया जिसमें कान्हड़देव चौहान सहित सभी राजपूत वीर लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए तथा राजपूत रानियों ने जोहर किया।
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