Skip to main content

राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएॅं

rajasthan civilisation

1. कालीबंगा की सभ्यता - हनुमानगढ़
  • इस सभ्यता का विकास घग्घर नदी के किनारे हुआ।
  • कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ है- काली चूड़ियॉं।
  • इस सभ्यता की खोज अमलानन्द घोष के द्वारा की गई।
  • इस सभ्यता का उत्खनन बी0 वी0 लाल एवं वी0 के0 थापड़ के द्वारा किया गया।
  • सभ्यता के उत्खनन में हड़प्पा सभ्यता तथा हड़प्पा समकालीन सभ्यता के अवशेष मिले है।
  • कालीबंगा सभ्यता मे उत्खनन मे हल से जुते खेत के निशान मिले है।
  • इस सभ्यता मे उत्खनन मे जले हुए चावल के साक्ष्य मिले है।
  • इस सभ्यता से उत्खनन मे सूती वस्त्र के साक्ष्य मिले है जो कपास उत्पादन के प्रतीक है।
  • इस सभ्यता के उत्खनन से मिली अधिकांश वस्तुएॅं कॉंसे की बनी हुई है जो इस सभ्यता के कॉंस्ययुगीन होने का प्रतीक है।
  • कालीबंगा सभ्यता में तॉंबे का भी प्रयोग प्रारम्भ हो गया।
  • कालीबंगा सभ्यता के निवासी लोहे एवं घोड़े से अपरिचित थे।
  • कालीबंगा सभ्यता मे उत्खनन मे मिली सेल खड़ी (घीया पत्थर) की मोहरों से इस सभ्यता मे मातृदेवी की पूजा के साक्ष्य मिले है।
  • कालीबंगा सभ्यता मे उत्खनन से गॉंवों से नगरों में विकसित होने के साक्ष्य मिले।
  • इस सभ्यता से नगर तीन चरणों में विकसित होने के प्रमाण मिले है।
  • इस सभ्यता में पक्की ईटों के बने दुर्ग के अवशेष मिले है।
  • इस सभ्यता में नगर के भवन कच्ची ईटों से बने हुए मिले है।
  • कालीबंगा सभ्यता में हवन कुण्ड के साक्ष्य मिले है। यज्ञ की वेदियॉं जो इस सभ्यता में यज्ञीय परम्परा बली प्रथा का प्रतीक है।
कालीबंगा की सभ्यता का काल :-
  • 14 कार्बन डेटिंग के अनुसार 2350 ई0 पूर्व से 1750 ई0 पूर्व
  • इतिहासकारों के अनुसार - 2500 ई0 पूर्व से 1750 ई0 पूर्व
2. आहड़ की सभ्यता - उदयपुर जिले में
  • आहड़ की सभ्यता आयड़ नदी (बेड़च नदी) के किनारे विकसित हुई है।
  • इसे अघाटपुर की सभ्यता भी कहा जाता है।
  • स्थानीय क्षेत्र मे इसे धुलकोट की सभ्यता भी कहा जाता है।
  • इसे ताम्रवती नगरी भी कहा जाता है।
  • इस सभ्यता की खोज अक्षय कीर्ति व्यास के द्वारा की गई।
  • इस सभ्यता का उत्खनन पूना विष्वविद्यालय के प्रोफेसर सोकलिया के द्वारा किया गया।
  • इस सभ्यता से उत्खनन मे मिट्टी के बने गोरे एवं कोटे मिले है।
  • उत्खनन में तॉंबे के बर्तन, हथियार एवं अन्य वस्तुएॅं मिलि है।
  • ताम्र के अधिकाधिक प्रयोग के कारण ही इस सभ्यता को ताम्रवती नगरी कहा गया है।
  • इस सभ्यता से मिली मोहरें यहॉं के उन्नत व्यापार का प्रतीक है।
  • डॉ0 गोपीनाथ वर्मा के अनुसार आहड़ की सभ्यता के उत्तरार्द्व में इस सभ्यता मे लोह संस्कृति का प्रवेश प्रारम्भ हो गया था।
  • डॉं0 गोपीनाथ शर्मा के अनुसार इस सभ्यता का समृद्व काल 1900 ई0 पूर्व से 1200 ई0 पूर्व तक का था।
  • वर्तमान में इस सभ्यता का एक और महत्वपूर्ण स्थल गिलुण्ड (राजसमन्द) जिले से प्राप्त हुआ है।
  • प्रारम्भ में यह सभ्यता मूल रूप से ग्रामीण सभ्यता थी। सभ्यता के उत्तरार्द्व में नगरीय विकास के साक्ष्य मिले है।
3. बैराठ की सभ्यता - जयपुर
  • यह सभ्यता जयपुर जिले में बाणगंगा नदी के किनारे विकसित हुई है।
  • बैराठ प्राचीन विराट नगर की राजधानी है।
  • पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पाण्डवों ने अपना अज्ञात वास यही पर व्यतीत किया था।
  • इस सभ्यता से अशोक का शिलालेख प्राप्त हुआ है। जो वर्तमान में कलकत्ता संग्रहालय में स्थित है।
  • इस सभ्यता से उत्खनन मे 36 मोहरें मिली जिनमें से 28 मोहरें हिन्द यवन शासकों की तथा इन 28 में से 16 मोहरें यूनानी शासक मिनेण्डर की मिली है।
  • इस सभ्यता का उत्खनन राजस्थान विष्वविद्यालय के सहयोग से पुरातत्व विभाग के द्वारा किया गया।
4. गणेश्वर की सभ्यता - सीकर
  • सीकर जिले में कान्तली नदी के किनारे विकसित हुई।
  • गणेश्वर की सभ्यता को भारत में (ताम्रयुगीन संस्कृति की जननी) कहा जाता है।
  • इस सभ्यता का उत्खनन राज0 वि0 वि0 के सहयोग से पुरातत्व विभाग के द्वारा किया गया।
  • इस सभ्यता से उत्खनन में मछली पकड़ने के तांबे के कॉंटे मिले है। जो तत्कालीक समय मे कान्तली नदी में वर्ष भर जल होने का प्रतीक है।
सभ्यता                            स्थान
रंगमहल की सभ्यता         हनुमानगढ़
पीलीबंगा की सभ्यता        हनुमानगढ़
बालाथल की सभ्यता        वल्लभनगर, उदयपुर
बागोर                             भीलवाड़ा
रेड की सभ्यता                टोंक
जोधपुरा की सभ्यता        जयपुर
नोह की सभ्यता              भरतपुर

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

Fort of Rajasthan (राजस्थान के किले)

Fort Who Built City Year  हवामहल   सवाई प्रताप सिंह   जयपुर   1798   आमेर का किला    राजा मानसिंह  आमेर  -  नाहरगढ़ का किला   सवाई माधोसिंह   जयपुर  -  जयगढ़ का किला  -  जयपुर  -  जैसलमेर का किला (सोनारगढ़) राव जैसल  जैसलमेर 1156 मेहरानगढ़ का किला राव जोधा  जोधपुर 1459 कुम्भलगढ़ का किला महाराणा कुंभा राजसमन्द - लोहागढ़ का किला महाराजा सूरज मल भरतपुर - जूनागढ़ का किला राव बीका बीकानेर 1478 चितोडगढ़ का किला चित्रागंद मोर्य  चितोडगढ़ - भटनेर का किला - हनुमानगढ़ - माँडलगढ़ का किला - भीलवाडा - अचलगढ़ का किला महाराणा कुंभा माउंट आबु 1452 भैंसोरगढ़ का किला - चितोडगढ़ 1740 बाला किला ठाकुर नवलसिंह नवलगढ़ 1737  गागरोन का किला - झालावाड़ - तारागढ़ का किला   पृथ्वीराज चौहान बूंदी - लामिया किला   - सीकर -

Lakes in Rajasthan (राजस्थान की झीले)

जिलें झीलें अजमेर पुष्कर] आनासागर] फॉयसागर उदयपुर जयसमंद] फतहेसागर] उदयसागर] पिछोला  अलवर सिलीसेढ़] विजयसागर] जयसागर चित्तौड़गढ़ भोपालसागर] राणाप्रताप सागर  जयपुर सांभर] छापरवाड़ा बीकानेर लूणकरणसर] कोलायत] अनूपसागर डूंगरपुर गैबसागर] सोम] कमला जोधपुर बालसमंद] उम्मेदसागर] प्रतापसागर बाड़मेर पचपदरा नागौर डीडवाना  श्रीगंगानगर तलवाड़ा  सिरोही नक्की झील राजसमंद राजसमंद झील  बूंदी नवलखा कोटा जवाहरसागर  भरतपुर मोती झील  चुरू तालछापर जैसेलमेर गड़ीसर] अमरसागर] बुज की झील  पाली सरदार समंद] वाकली धौलपुर तालाबशाही

Irrigation Development in Rajasthan

Chambal Project (1935-54) Started in 1935-54 It is a joint project of MP and Rajasthan to control flood in Chambal. Irrigation facility to 10 lakh hectares of land. Start from Janapur hills in MP. Four dams are constructed on it. Dams Gandhi Sagar Dam: Built in 1959 in 1st phase in M.P. Biggest water reservoir Hydroelectricity production Kota Barrage: Built in 1960 in 1st phase in Kota It is the largest Hydroelectricity project of state Rana Pratap Sagar Dam: In Chittorgarh in 2nd phase It was constructed 33 Kms downstream on Chulia fall (Rawatbhata) Maximum catchment area of state Production of Hydroelectricity Jawahar Sagar Dam: In Kota, in 3rd phase It is a pick up dam Used only for irrigation to 10 lakh hectare of land