बाड़मेर- राजस्थान में सर्वाधिक ऊँटों वाला जिला बाड़मेर है।
प्रतापगढ़- राजस्थान में सबसे कम ऊँटों वाला जिला प्रतापगढ़ है।
राजस्थान में ऊँटों की नस्लें- गोमठ ऊँट- राजस्थान में गोमठ ऊंट सर्वाधिक जोधपुर की फलोदी तहसिल में पाया जाता है। गोमठ ऊँट सवारी हेतु प्रसिद्ध माना जाता है।
नाचना ऊँट- राजस्थान में नाचना ऊँट सर्वाधिक जैसलमेर में पाया जाता है।, यह ऊँट सबसे सुन्दर ऊँट माना जाता है। यह ऊँट राजस्थान में नाचने हेतु प्रसिद्ध है।
जैसलमेरी ऊँट- राजस्थान में जैसलमेरी ऊँट सर्वाधिक जैसलमेर में पाया जाता है जिसे रेगिस्तान का जहाज भी कहा जाता है।
राजस्थान में ऊँटों की अन्य नस्लें-1. अलवरी ऊँट, 2. सिंधी ऊँट, 3. कच्छी ऊँट, 4. बीकानेरी ऊँट
ऊँटों से संबंधि अन्य तथ्य- मोहम्मद बिन कासिम- भारत में सर्वप्रथम ऊंट मोहम्मद बिन कासिम लेकर आया था इसीलिए भारत में ऊंट लाने का श्रेय मोहम्मद बिन कासिम को दिया जाता है।
पाबूजी- राजस्थान में ऊंट सर्वप्रथम ऊंट पाबूजी लेकर आये थे इसीलिए राजस्थान में ऊंट लाने का श्रेय पाबूजी महाराज को दिया जाता है। पाबूजी को ऊंटो का देवता भी कहते है।
30 जून 2014- राजस्थान सरकार ने 30 जून 2014 को ऊँट को राजस्थान के राज्य पशु का दर्जा दिया था जिसकी घोषणा बीकानेर जिले में की गई थी।
रेबारी जाति या राईका जाति- राजस्थान में ऊँट पालने के लिए रेबारी जाति प्रसिद्ध है।
सारणेश्वर महादेव मंदिर- स्थित- सिरोही (राजस्थान) इस मंदिर में भाद्रपद शुक्ला द्वादशी के दिन रेबारी जाति का सबसे बड़ा मेला लगता है।
उस्ता कला- राजस्थान में ऊँट की खाल के उपर की जाने वाली मिनाकारी को उस्ता कला कहते है। उस्ता कला के लिए राजस्थान के बीकानेर जिले का हिसामुद्दीन उस्ता का परिवार प्रसिद्ध है।
काॅपी- राजस्थान में ऊंट की खाल से बनाये जाने वाले ठण्डे पानी के जलपात्रों को काॅपी कहा जाता है।
गंगा रिसाला- बीकानेर के महाराजा गंगासिंह ने एक ऊँट सेना तैयार की थी जिसे गंगा रिसाला के नाम से जाना जाता है।
उरमूल डेयरी- स्थित- बीकानेर (राजस्थान) यह भारत की एकमात्र ऊँटनी के दूध की डेयरी है। ऊंटनी के दूध में भरपुर मात्रा में विटामीन सी पाया जाता है।
गोरबंद- यह राजस्थान का एक ऊँट श्रृंगार गीत है।
गिरबाण- यह ऊँट के नाक में डाले जाने वाला आभूषण है। गिरबाण मुख्यतः लकड़ी का बना होता है।
ऊँट अनुसंधान केन्द्र- स्थित- जोहड़बीड़, बीकानेर
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