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Rajasthan Lok Devta and Lok Devi (राजस्थान के लोकदेवता और देवियाँ)

गोगाजी
  • जन्म चुरू जिले के ददरेवा नामक स्थान पर हुआ था
  • पिता का नाम जेवर, माता का नाम बाछल था 
  • हनुमानगड़ के गोगामेडी मे प्रत्येक गोगानवमी के दिन मेला लगता है
  • गोगा जी का प्रतिक घोड़ा है 
तेजाजी 
  • जन्म नागौर जिले के खड़नाल गॉव मे हुआ था 
  • पिता का नाम ताहडजी, माता का नाम राजकुँवर था
  • सर्पो के देवता के रूप मे पूजा की जाती है 
  • नागौर जिले के परबतसर गाँव मे हर साल भाद्रपद की शुक्ल दशमी को पशु मेला लगता
पाबूजी 
  • जन्म फलोदी (जोधपुर) जिले के कोलू गॉव मे हुआ था 
  • ऊँटो के देवता के रूप मे प्रसिद
  • पाबूजी का प्रतिक चिन्ह भाला लिए अश्वारोही रूप है 
  • कोलू (फलोदी) मे हर साल मेला लगता है 
 रामदेवजी 
  • जन्म बाड़मेर जिले के उडूकासमेर गाँव मे 
  • पिता का नाम अजमल, माँ का नाम मेनादेवी
  • पोकरण (जैसलमेर) के पास रुणेचा, यहाँ हर साल भाद्रपद शुक्ला द्वितीय को एकादशी तक मेला लगता है 
  • रामदेव जी का प्रतिक चिन्ह चरण चिन्ह (पगलिये)है 
बाबा तल्लीनाथ
  • तल्लीनाथ जी का बचपन का नाम गागदेव, पिता का नाम विरमदेव था 
  • तल्लीनाथ जी ने सदेव पेड़ पौधो की रक्षा व सवर्धन पर बल दिया इसलिए तल्लीनाथ पूजा स्थली पंचमुखी पहाड़ पर कोई पेड़ पौधा नहीं काटता है
  • इनके गुरु का नाम जलन्धर नाथ था 
केला देवी 
  • केला देवी यदुवंशी राजवंश की कुल देवी है
  • जो दुर्गा के रूप मे मानी जाती है 
  • प्रतिवर्ष चेत्र मास की शुक्ल अष्टमी को लक्खी मेला लगता है 
  • मंदिर त्रिकुट पर्वत (करोली) राजस्थान मे  है 
शीलादेवी 
  • आमेर राज्य के शासक मानसिंह (प्रथम) ने पूर्वी बंगाल विजय के बाद इसे आमेर के राजभवनो के मध्य मे स्थापित करवाया था 
  • शीलादेवी की स्थापना 16 वी शताब्दी मे हुई थी
  • शीलादेवी की प्रतिमा अष्टभुजी है
करणीमाता
  • करणी माता बीकानेर के राठौर वंश की कुलदेवी है 
  • करणी माता का मंदिर बीकानेर जिले के देशनोक नामक स्थान पर स्थित है 
  • करणी माता चूहों की देवी के नाम से भी प्रसिद है यहाँ पर सफ़ेद चूहों को काबा कहा जाता है 
  • नवरात्री के दिनों मे देशनोक मे करणीमाता का मेला भरा जाता है 
जीणमाता 
  • जीणमाता का मंदिर सीकर जिले मे हर्ष की पहाड़ी के ऊपर स्थित है 
  • चौहानों की कुलदेवी है 
  • जीणमाता का मेला प्रतिवर्ष चेत्र व आश्विन माह के नवरात्रों मे आता है 
शीतला माता 
  • शीतला माता की पुजा कुम्हार करते है 
  • चाकसू मे शील की डूंगरी पर शीतला माता का मंदिर स्थित है 
  • शीतला माता अकेली देवी है जो खण्डित रूप मे पूजी जाती 
  • यहाँ प्रतिवर्ष शीतला अष्टमी को मेला लगता है 
सकराय माता 
  • सकराय माता का मंदिर उदयपुरवाट़ी (झुंझुनू) के समीप स्थित है 
  • खंडेलवालो की कुल देवी है 
  • इन्हेंशाकम्भरी देवी भी कहा जाता है  

धुरमेढी स्थान किस लोक देवता से सम्बन्धित है।
( गोगाजी )

संत पीपा के गुरू कौन थे।
( रामानन्द )

कंठेसरी माता किसकी लोकदेवी मानी जाती है।
( आदिवासियों की ) 

बाणमाता कुल देवी की अराधना होती है।
( मेवाड़ में ) 

सच्चिया माता कुल देवी है।
( ओसवालों की ) 

अन्नपूर्णा देवी किस राजपरिवार की अराध्य देवी है।
( कछवाहा )

भारतीय डाक विभाग ने किस लोक देवता की फड़ पर डाक टिकट जारी किया है।
( देवनारायण जी ) 

राजस्थान का हरिद्वार किसे कहते है।
( मातृकुण्डिया )

आवरी माता का मंदिर कहाॅं स्थित है।
( निकुम्भ )

किस देवी को सैनिकों की देवी कहा जाता है।
( तनोटिया माता )

सुडांमाता का मन्दिर स्थित है।
( जालौर )

वीर तेजाजी की घोड़ी का नाम है।
( लीलण )

प्लेग रक्षक देवता के रूप में प्रसिद्व है।
( पाबूजी )

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