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Religious Cuts of Rajasthan (धार्मिक जीवन एवं सन्त सम्प्रदाय)

सगुण भक्ति धारा

शैव सम्प्रदाय - भगवान शिव की उपासना करने वाले शैव कहलाते है। कालीबंगा, सिंधुघाटी सभ्यता एवं अन्य उत्खननों से ज्ञात हुआ है। कि उस समय भी किसी न किसी रूप में शिव की पूजा होती थी।

नाथ सम्प्रदाय - नाथ सम्प्रदाय के प्रवर्तक: नाथ मुनि।
राजस्थान में नाथ मत की दो शाखाएॅं है।
बैराग पंथ - इसका केन्द्र पुष्कर के पास राताडूॅंगा है।
माननाथी पंथ - इसका मुख्य केन्द्र जोधपुर का महामंदिर है।

वैष्णव सम्प्रदाय - विष्णु को प्रधान देव मानकर उसकी अराधना करने वाले वैष्णव कहलाते है। पश्चात्वर्ती काल में वैष्णव भाक्तिवादी कई सम्प्रदायों का आविर्भाव भारत भूमि पर हुआ जिनमें से प्रमुख का वर्णन निम्न प्रकार है।

1. रामानुज सम्प्रदाय - इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक: रामानुजाचार्य
इस सम्प्रदाय में राम की पूजा - अर्चना की जाती है।

2. रामानन्दी सम्प्रदाय - इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य के शिष्य रामानन्द जी हुऐ। 
राजस्थान में रामानन्दी सम्प्रदाय का प्रारंभ संत श्री कृष्णदास जी पयहारी ने किया
इस सम्प्रदाय की प्रमुख पीठ: गलता जी, जयपुर।

3. रसिक सम्प्रदाय - इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक अग्रदासजी।
इस सम्प्रदाय की प्रमुख पीठ: रैवासा ग्राम, सीकर।
अग्रदासजी ने राम की भक्ति माधुर्य भाव से उन्हे कृष्ण की भांति रसिक नायक मानते हुए कि, अतः उनके मत को रसिक सम्प्रदाय कहा जाता है।

4. निम्बार्क सम्प्रदाय - इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक: आचार्य निम्बार्क। उन्होने वेदान्त परिजात भाष्य लिखा।
इस सम्प्रदाय की राजस्थान मे प्रमुख पीठ: किशनगढ़, अजमेर के समीप सलेमाबाद में है। इस सम्प्रदाय में राधा-श्रीकृष्ण के युगल स्वरूप की पूजा की जाती है।

5. वल्लभ सम्प्रदाय - इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक: वल्लाभाचार्य। उन्होने अणुभाष्य लिखा।
वृंदावन में वल्लाभाचार्य के पुत्र विटठलनाथ ने अष्ठ छााप कवि मण्डल का संगठन किया। जिन्होने राधा-कृष्ण की भक्ति में अनन्य रचना की।
इस सम्प्रदाय की प्रमुख पीठ: नाथद्वारा, राजसमंद

6. ब्रहा या गौड़ीय सम्प्रदाय - इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक: बंगाल के गौरांग महाप्रभु चैतन्य।


निर्गुण भक्ति धारा

1. जसनाथी सम्प्रदाय - प्रवर्तक: जसनाथजी, प्रमुख पीठ: कतरियासर, बीकानेर
इस सम्प्रदाय के लोग 36 नियमो का पालन करते है।
उपदेश - सिंभूदड़ा और कोंडा गं्रथ में संग्रहित है। धधकते अंगारो पर नृत्य करते हुए चलना इस सम्प्रदाय की प्रमुख विशेषता है। जसनाथी सम्प्रदाय के लोग मोर पंख और जाल वृक्ष को पवित्र मानते है।

2. विश्नोई सम्प्रदाय - प्रवर्तक: जांभोजी, प्रमुख पीठ: मुकाम तालवा, नोखा, बीकानेर।
इस सम्प्रदाय के लोग 29 नियमो को पालन करते है। प्रमुख ग्रंथ - जभंसागर, जम्भ-संहिता, विश्नोई धर्म प्रकाश।

3. दादू पंथ - प्रवर्तक: दादूजी, प्रमुख पीठ: नारायणा, जयपुर
उपदेश: दादूजी री वाणी, दादूजी रा दूहा में संग्रहित है। दादू पंथ के सत्संग को अलख दरीबा कहा जाता है। दादू के 52 प्रमुख शिष्यों को दादू पंथ के बावन स्तम्भ कहा जाता है।

4. लालदासी - प्रवर्तक: लालदासजी, प्रमुख स्थल: शेरपुर एवं धोली दूव गाॅंव तथा नगला गाॅंव। संत लालदासजी का जन्म धोली दूव, अलवर में एवं मृत्यु नगला गाॅंव, भरतपुर में तथा इनकी समाधि शेरपुर, अलवर में।

5. चरणदासी पंथ - प्रवर्तक: संत चरणदासजी। प्रमुख पीठ: दिल्ली। इस सम्प्रदाय के 42 नियम है।
प्रमुख ग्रंथ: ब्रहा ज्ञान सागर, ब्रहा चरित्र, भक्तिसागर, ज्ञान स्वरोदय।
नादिरशाह के आक्रमण की भविष्यवाणी इन्होने ही की थी।

6. रामस्नेही सम्प्रदाय - राजस्थान में रामस्नेही सम्प्रदाय के प्रवर्तक रामचरण दास जी।
राजस्थान में चार प्रमुख पीठ है।
शाहपुरा, भीलवाड़ा मुख्य पीठ। प्रवर्तक: संत रामचरण जी। उपदेश अर्णभवाणी में संग्रहित।
रैण शाखा, मेड़ता नागौर। प्रवर्तक: संत दरियावजी।
सिंहथल शाखा, बीकानेर। संत हरिरामदासजी।
खेड़ापा शाखा, जोधपुर। संत रामदासजी।

7. निरंजनी सम्प्रदाय - इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक संत हरिदासजी। प्रमुख पीठ: गाढ़ा, डीडवाना, नागौर

8. परनामी सम्प्रदाय - इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक प्राणनाथ। ग्रंथ: कुजलम स्वरूप। प्रमुख पीठ: पन्ना, मध्यप्रदेश में है।

9. सिक्ख सम्प्रदाय - इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक गुरूनानक देव। उपदेश: गुरू ग्रंथ साहिब में संकलित। इस सम्प्रदाय में 10 गुरू हुए। अंतिम गुरू गोविंदसिंह जी ने अपने अनुयायिों का सैनिक संगठन खालसा स्थापित किया। प्रत्येक खालसा के लिए पंच ककार - केश, कंघा, कृपाण, कच्छा, एवं कड़ा धारण करना अनिवार्य किया। गुरू गोविंद सिंह ने गुरू परम्परा को समाप्त कर गुरू ग्रन्थ साहिब को ही गुरू घोषित किया।

10. अलखिया सम्प्रदाय - प्रवर्तक स्वामी लाल गिरी। प्रमुख पीठ: बीकानेर। ग्रंथ: अलख स्तुति प्रकाश।

11. गूदड़ सम्प्रदाय - प्रवर्तक संतदासजी। प्रमुख गद्ी: दाॅंतड़ा, भीलवाड़ा। संतदासजी गूदड़ी से बने कपड़े पहनते थे इसलिए इस सम्प्रदाय का नाम गूदड़ सम्प्रदाय पड़ा।

12. नवल सम्प्रदाय - प्रवर्तक संत नवलदासजी। प्रमुख मंदिर: जोधपुर। ग्रंथ: नवलेश्वर अनुभववाणी।

13. राजाराम सम्प्रदाय - प्रवर्तक संत राजाराम। 

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