Rajasthan 's major literature art and music institutions (राजस्थान के प्रमुख साहित्य कला एवं संगीत संस्थान)
राजस्थान के प्रमुख साहित्य कला एवं संगीत संस्थान
राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, राज्य में सांगीतिक, नृत्य एवं नाटय विधाओं के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 1957 में जोधपुर में इसकी स्थापना की गई।
राजस्थान संगीत संस्थान, संगीत शिक्षा की समृद्वि हेतु सन् 1950 में जयपुर में स्थापित की गई।
जयपुर कथक केन्द्र, प्राचीन एवं शास्त्रीय नृत्य शैली को पुनर्जीवित कर उसके विकास हेतु सरकार द्वारा सन् 1978 में जयपुर में स्थापित की गई।
भारतीय लोक कला मण्डल, पद्मश्री देवी लाल सामर द्वारा प्रदर्शनकारी लोक कलाओं एवं कठपुतलियों के शोध, संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से सन् 1952 में उदयपुर में स्थापित की गई।
पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, देश की लुप्त हो रही कलाओं के पुनरूत्थान करने, कलाकारों को उपयुक्त मंच उपलब्ध कराकर उनकी कला का प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से सन् 1986 में उदयपुर में स्थापित की गई।
जवाहर कला केन्द्र, राज्य की पारम्परिक एवं विलुप्त हो रही कलाओं के संरक्षण, खोज एवं सवंर्धन करने एवं उनका विकास करने के उद्देश्य से सन् 1993 में जयपुर मे स्थापित की गई।
रूपायन संस्थान, राजस्थान की लोक कलाओं, लोक संगीत एवं वाघों के संरक्षण एवं लोक कलाकारों को प्रोत्साहित कर उनके विकास हेतु स्व. कोमल कोठारी द्वारा बोरूंदा जोधपुर में समर्पित संस्थान
राजस्थान स्कूल आॅफ आर्ट, यह राज्य का महत्वपूर्ण कला संस्थान है जिसकी स्थापना जयपुर के तत्कालीन महाराजा सवाई रामसिंह ने मदरसा-ए-हुनरी के नाम से की थी।
रवीन्द्र मंच सोसायटी, नृत्य नाटक व संगीत कला के उत्थान हेतु वर्ष 1963 जयपुर में स्थापित।
राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, राज्य में सांगीतिक, नृत्य एवं नाटय विधाओं के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 1957 में जोधपुर में इसकी स्थापना की गई।
राजस्थान संगीत संस्थान, संगीत शिक्षा की समृद्वि हेतु सन् 1950 में जयपुर में स्थापित की गई।
जयपुर कथक केन्द्र, प्राचीन एवं शास्त्रीय नृत्य शैली को पुनर्जीवित कर उसके विकास हेतु सरकार द्वारा सन् 1978 में जयपुर में स्थापित की गई।
भारतीय लोक कला मण्डल, पद्मश्री देवी लाल सामर द्वारा प्रदर्शनकारी लोक कलाओं एवं कठपुतलियों के शोध, संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से सन् 1952 में उदयपुर में स्थापित की गई।
पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, देश की लुप्त हो रही कलाओं के पुनरूत्थान करने, कलाकारों को उपयुक्त मंच उपलब्ध कराकर उनकी कला का प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से सन् 1986 में उदयपुर में स्थापित की गई।
जवाहर कला केन्द्र, राज्य की पारम्परिक एवं विलुप्त हो रही कलाओं के संरक्षण, खोज एवं सवंर्धन करने एवं उनका विकास करने के उद्देश्य से सन् 1993 में जयपुर मे स्थापित की गई।
रूपायन संस्थान, राजस्थान की लोक कलाओं, लोक संगीत एवं वाघों के संरक्षण एवं लोक कलाकारों को प्रोत्साहित कर उनके विकास हेतु स्व. कोमल कोठारी द्वारा बोरूंदा जोधपुर में समर्पित संस्थान
राजस्थान स्कूल आॅफ आर्ट, यह राज्य का महत्वपूर्ण कला संस्थान है जिसकी स्थापना जयपुर के तत्कालीन महाराजा सवाई रामसिंह ने मदरसा-ए-हुनरी के नाम से की थी।
रवीन्द्र मंच सोसायटी, नृत्य नाटक व संगीत कला के उत्थान हेतु वर्ष 1963 जयपुर में स्थापित।
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