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Showing posts from July, 2015

Plans for Agriculture Development (राजस्थान में कृषि विकास हेतु योजनाएॅ एवं कार्यक्रम)

बेर अनुसंधान केन्द्र एवं खजूर अनुसंधान केन्द्र, (1978 मे स्थापित) बीकानेर। पश्चिमी राजस्थान के लिए हिलावी खजूर की किस्म उपयोगी सिद्ध हुई है। मेंजुल किस्म छुआरा बनाने के लिए उपयोगी है। खजूर वृक्ष का प्रमुख रोग ग्रेफियोला का पत्ती धब्बा रोग है। केन्द्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र, दुर्गापुरा जयपुर: ( RARI - Rajasthan Agricultral Research Institute ) इसकी स्थापना 1943 में की गई थी। यह वर्तमान SKN कृषि विश्वविद्यालय का संघटक है। केन्द्रीय कृषि फार्म, सूरतगढ़ (गंगानगर) : यह रूस की सहायता से 15 अगस्त, 1956 को स्थापित किया गया था। यह एशिया का सबसे बड़ा फार्म है।   केन्द्रीय कृषि फार्म, जैतसर ( गंगानगर ): यह सूरतगढ़ कृषि फार्म के अधिन ही कनाड़ा की सहायता से स्थापित किया गया। केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीछवाल बीकानेर (CIAH -  Central Institute for Arid Horticulture ) : इसकी स्थापना 1993 में की गई। सरसों अनुसंधान निदेषालय सेवर, भरतपुर : (DRMR - Directorate of Rapseed-Mustard Research) 20 अक्टूबर, 1993 को ICAR द्वारा सेवर, भरतपुर में राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान केन्द्र ( NRCRM -  National Rese

Rajasthan chief animal and their Breeds (राजस्थान के प्रमुख पशु एवं उनकी नस्लें)

गोवंश :-  राजस्थान में सर्वाधिक गोवंश उदयपुर में पाया जाता है। नस्लें:- 1. नागौरी:- इसका उत्पति स्थल सुहालक प्रदेश नागौर है। इस नस्ल की गाय के बैल मजबूत कद-काठी के लिए पूरे देशभर में प्रसिद्ध है। 2. थार पारकर:- इसका उत्पति स्थल मालानी प्रदेश बाड़मेर है। यह अधिक दूध के लिए प्रसिद्ध नस्ल है। 3. राठी:- यह लाल सिंधी एवं साहीवाल की मिश्रित नस्ल है। राजस्थान के उत्तर-पष्चिमी भागों में पायी जाती है। यह भी गायों की श्रेणी में अधिक दूध के लिए प्रसिद्व नस्ल है। 4. गिर:- यह मूलतः गुजरात के गिरिवन का पशु है। इसे राजस्थान मे रैण्डा कहा जाता है। तथा अजमेर मे इसे अजमेरा कहा जाता है। यह गायों की द्विप्रयोजनीय नस्ल है। 5. कॉकरेज:- यह राजस्थान के दक्षिण-पष्चिमी भाग में पायी जाती है। यह भी गायों की द्विप्रयोजनीय नस्ल है। 6. हरियाणवी:- राजस्थान के उत्तर-पूर्वी भागों में पायी जाती है इस नस्ल की गाय के मस्तिष्क मध्य की हड्डी उठी हुई होती है। अन्य नस्लें :- सांचौरी, मेवाती, मालवी आदि। भैंस :- राजस्थान में सर्वाधिक भैंसे अलवर में पायी जाती है। द्वितीय स्थान पर जयपुर है। राजस्थान की मुर्रा

Rajasthan ki Pratha (राजस्थान की प्रथा)

सती प्रथा राजस्थान में सर्वप्रथम 1822 ई. में बूॅंदी में सतीप्रथा को गैर कानूनी घोषित किया गया। बाद में राजा राममोहन राय के प्रयत्नों से लार्ड विलियम बैंटिक ने 1829 ई. में सरकारी अध्यादेश से इस प्रथा पर रोक लगाई। सती प्रथा को सहमरण या अन्वारोहण भी कहा जाता है। अधिनियम के तहत सर्वप्रथम रोक कोटा रियासत में लगाई। दास प्रथा 1832 में विलियम बैंटिक ने दास प्रथा पर रोक लगाई। राजस्थान में भी 1832 ई. में सर्वप्रथम कोटा व बूंदी राज्यों ने दास प्रथा पर रोक लगाई। दहेज प्रथा 1961 में भारत सरकार द्वारा दहेज विरोध अधिनियम भी पारित कर लागू कर दिया गया लेकिन इस समस्या का अभी तक कोई निराकरण नही हो पाया है। त्याग प्रथा राजस्थान में क्षत्रिय जाति में विवाह के अवसर पर भाट आदि लड़की वालों से मुॅंह मांगी दान-दक्षिणा के लिए हठ करते थे, जिसे त्याग कहा जाता था। त्याग की इस कुप्रथा के कारण भी प्रायः कन्या का वध कर दिया जाता था। सर्वप्रथम 1841 ई. में जोधपुर राज्य में ब्रिटिश अधिकारियों के सहयोग से नियम बनाकर त्याग प्रथा को सीमित करने का प्रयास किया गया। बेगार प्रथा सामन्तों, जागीरदारों व राजाओं द

राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएॅं

1. कालीबंगा की सभ्यता - हनुमानगढ़ इस सभ्यता का विकास घग्घर नदी के किनारे हुआ। कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ है- काली चूड़ियॉं। इस सभ्यता की खोज अमलानन्द घोष के द्वारा की गई। इस सभ्यता का उत्खनन बी0 वी0 लाल एवं वी0 के0 थापड़ के द्वारा किया गया। सभ्यता के उत्खनन में हड़प्पा सभ्यता तथा हड़प्पा समकालीन सभ्यता के अवशेष मिले है। कालीबंगा सभ्यता मे उत्खनन मे हल से जुते खेत के निशान मिले है। इस सभ्यता मे उत्खनन मे जले हुए चावल के साक्ष्य मिले है। इस सभ्यता से उत्खनन मे सूती वस्त्र के साक्ष्य मिले है जो कपास उत्पादन के प्रतीक है। इस सभ्यता के उत्खनन से मिली अधिकांश वस्तुएॅं कॉंसे की बनी हुई है जो इस सभ्यता के कॉंस्ययुगीन होने का प्रतीक है। कालीबंगा सभ्यता में तॉंबे का भी प्रयोग प्रारम्भ हो गया। कालीबंगा सभ्यता के निवासी लोहे एवं घोड़े से अपरिचित थे। कालीबंगा सभ्यता मे उत्खनन मे मिली सेल खड़ी (घीया पत्थर) की मोहरों से इस सभ्यता मे मातृदेवी की पूजा के साक्ष्य मिले है। कालीबंगा सभ्यता मे उत्खनन से गॉंवों से नगरों में विकसित होने के साक्ष्य मिले। इस सभ्यता से नगर तीन चरणों में विकसित होने के

Current Affairs Rajasthan (July 2015)

जयपुर की द्रव्यवती नदी के 47 किलोमीटर लंबे प्रवाह को प्रदुषण मुक्त रखने और अन्य विकास की कंसल्टेंसी का काम सरकार ने टाटा संस कंपनी से लेकर किसको दे दिया है। ( केंद्र के सरकारी उपक्रम राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान "निरी" को ) update on 30 /07/2015 राजस्थान किशोर न्याय नियम 2011 के नियम 91 के तहत राज्य सरकार ने बालको की देखरेख एवं सरंक्षण के लिए राज्य स्तरीय चयन समिति गठित कर दी है। इसके अध्यक्ष कौन है। ( उच्च न्यायालय के सेवानिर्वत न्यायाधीश नरेंद्र कुमार ) update on 30 /07/2015 राजस्थान सरकार ने " राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2014 " के तहत किन चार फर्मो को कस्टमाइज़्ड पैकेज जारी किए है। ( चारो कंपनियां कुल मिलाकर 2286 करोड़ रुपए का निवेश करेंगी और इन्हे 9286 लोगों को रोजगार भी मुहैया करवाना होगा )   1. भगवती प्रॉडक्ट्स लिमिटेड, 2. डायकिन एयर-कंडीशिनिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, 3. नितिन स्पिनर्स लिमिटेड, 4. जिओ-टेक एंटरप्राइजेज कंपनी प्राइवेट लिमिटेड  update on 30 /07/2015 सरस्वती नदी के प्राचीन 543 किलोमीटर लंबे प्रवाह को पुनः जीवित करने

Map of Rajasthan ke Laghu Udyog

Map of Rajasthan ke Lok Nritya

Rajasthan ke Kisan Andolan (राजस्थान के किसान आन्दोलन)

बिजौलिया किसान आन्दोलन 1. बिजौलिया ठीकाने की स्थापना अशोक परमार ने की थी। 2. 1897 में किसानों ने छोटे स्तर पर आन्दोलन प्रारंभ किया। 3. 1916 में विजयसिंह पथिक ने आन्दोलन का नेतृत्व किया जिससे आन्दोलन में तीव्रता आई। 4. विजय सिंह पथिक का जन्म बुलन्द शहर उत्तर प्रदेश में हुआ। इनका मूल नाम भूपसिंह था। 5. इस आन्दोलन को राजस्थान का प्रथम व सबसे लम्बां चलने वाला अहिंसात्मक आन्दोलन कहा जाता है। 6. इनकी अधिकांश मांगे मान ली गई। रामनारायण चौधरी ने भी इस आंदोलन में भाग लिया था। बेंगू किसान आन्दोलन 1. इसका नेता रामनारायण चैधरी था। 2. बेंगू मेवाड़ की जागीर थी। रियासत ने किसानों पर विभन्न लाग-बाग कर लगा रखी थी। जिनके विरोध स्वरूप ये आन्दोलन हुआ। 3. इस आन्दोलन में रूपा जी एवं कृपा जी मारे गए। बूॅंदी किसान आन्दोलन 1. इसका नेता पण्डित नयनू राम शर्मा था। 2. बूॅंदी में किसानों की समस्याओं को लेकर रियासत के विरूद्व आन्दोलन हुआ। 3. यहाॅं पर नानक जी भील शहीद हुए। नीमूचणा किसान आन्दोलन 1. यह अलवर रियासत में हुआ। 2. 1925 में आन्दोलनकारी किसानों पर गोलियाॅं चलाई गई। 3. महात्मा गाॅंधी ने इस

Religious Cuts of Rajasthan (धार्मिक जीवन एवं सन्त सम्प्रदाय)

सगुण भक्ति धारा शैव सम्प्रदाय - भगवान शिव की उपासना करने वाले शैव कहलाते है। कालीबंगा, सिंधुघाटी सभ्यता एवं अन्य उत्खननों से ज्ञात हुआ है। कि उस समय भी किसी न किसी रूप में शिव की पूजा होती थी। नाथ सम्प्रदाय - नाथ सम्प्रदाय के प्रवर्तक: नाथ मुनि। राजस्थान में नाथ मत की दो शाखाएॅं है। बैराग पंथ - इसका केन्द्र पुष्कर के पास राताडूॅंगा है। माननाथी पंथ - इसका मुख्य केन्द्र जोधपुर का महामंदिर है। वैष्णव सम्प्रदाय - विष्णु को प्रधान देव मानकर उसकी अराधना करने वाले वैष्णव कहलाते है। पश्चात्वर्ती काल में वैष्णव भाक्तिवादी कई सम्प्रदायों का आविर्भाव भारत भूमि पर हुआ जिनमें से प्रमुख का वर्णन निम्न प्रकार है। 1. रामानुज सम्प्रदाय - इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक: रामानुजाचार्य इस सम्प्रदाय में राम की पूजा - अर्चना की जाती है। 2. रामानन्दी सम्प्रदाय - इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य के शिष्य रामानन्द जी हुऐ।  राजस्थान में रामानन्दी सम्प्रदाय का प्रारंभ संत श्री कृष्णदास जी पयहारी ने किया इस सम्प्रदाय की प्रमुख पीठ: गलता जी, जयपुर। 3. रसिक सम्प्रदाय