1241 ई0 में देवी सिंह हाड़ा देवा हाड़ा के द्वारा बूॅंदा मीणा को पराजित कर बूॅंदी रियासत की स्थापना की गई। बूॅंदी का नाम बूॅंदा मीणा के नाम से पड़ा। बूॅदी रियासत की प्रारम्भिक राजधानी कोटा थी। देवी सिंह हाड़ा ने बूॅंदी के निकट तारागढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया था। तारागढ़ दुर्ग को वर्तमान स्वरूप बरसिंह हाड़ा द्वारा दिया गया। राव बरसिंह हाड़ा के समय मेवाड़ के महाराजा लाखा ने तीन बार आक्रमण किया था जिसे बरसिंह हाड़ा ने विफल कर दिया। राव बरसिंह हाड़ा के पश्चात् बूॅंदी रियासत मेवाड़ के अधीन हो गई। राव सुर्जन सिंह हाड़ा के काल में बूॅदी पुनः स्वतन्त्र रियासत के रूप में स्थापित हुई। राव सुर्जन सिंह हाड़ा का अधिकार रणथम्भौर दुर्ग पर भी था। रणथम्भौर दुर्ग में ही 1569 ई0 में राव सुर्जनसिंह हाड़ा ने अकबर की अधीनता को सशर्त स्वीकार कर लिया था। अकबर ने राव सुर्जनसिंह हाड़ा को बनारस (वाराणसी) की जागीर उपहार में दे थी। राव सुर्जन सिंह हाड़ा ने बनारस में एक मन्दिर का निर्माण करवाया था तथा अपने जीवन के अन्तिम काल में सन्यास धारण कर लिया था।
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